इंद्रधनुष
इंद्रधनुष आसमान में ही नहीं उगता यह उगता है एक स्त्री के जीवन में भी हर शाम खून के लाल-लाल आंसू टपक पड़ते है उसकी आँखों से; जब खरीदकर अनचाहे ही बिठा दी जाती कोठे पर बार बार बिकने के लिए. इंद्रधनुष का नीला रंग जब-तब कौंध जाता है जब प्रकट करती है वह अपनी इच्छा और बदले में मिलते हैं क्रोध के उपहार, कहते हैं बैगनी रंग औरतों की आज़ादी का प्रतीक है देखिये कभी उसकी आँखों के नीचे उभरे हुए स्याह दाग आज़ादी के मायने उसकी हर तड़प में सिमटे हुए मिलते हैं, इन्द्रधनुष का हरा रंग उसकी कोख में तोड़ता है दम, सूख जाती है हरियाली, पता चलते ही भ्रूण मादा है नर नहीं और......... बहा दिया जाता है बेवजह रक्त के साथ हर ताने के बाद बुझ जाता है उसके जीवन से उल्लास का नारंगी रंग, समाज मीच लेता हैं आँख और औरत; व्योम के आसमानी रंग सी विस्तार पा जाती है अपनी कुर्बानियों में. बारिश के बाद आसमान में उगता है इन्द्रधनुष और......... ज़िंदगी से मिट जाते हैं इन्द्रधनुष के रंग कि...... औरत को औरत होने की सज़ा मिलती है. (image credit go